देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि का संशोधित और परिष्कृत रूप देवनागरी लिपि है। यह उस समय की आवश्यकता और सुविधा को ध्यान में रख कर की गई थी जब यह बनी थी । अब देवनागरी लिपि एक हजार साल से अधिक पुरानी हो चुकी है। देवनागरी लिपि हिंदी की ध्वनियों के उच्चारण को लिखने में सक्षम होने के बावजूद अब कम्प्यूटर युग में लिपि को अधिक सरल और स्पष्ट बनाने की आवश्यकता है। होड़ो सेंणा लिपि देवनागरी लिपि का विकसित रूप है। इस लिपि में देवनागरी की कमियों का समाधान किया गया है !आवश्यक किये गये परिवर्तन निम्नलिखित हैं! ( 1 ) ग, ण, और श का रूप बदला गया है, क्योंकि इसमें आ की मात्रा लगे होने का भ्रम होता है। ( 2 ) ‘ र ‘ की अनेक ध्वनि संकेतों ( राष्ट्र, कर्म, क्रम, ऋण, कृषि ) के बदले सिर्फ एक रूप व्यवहार में लाया गया है। ( 3 ) स्वर वर्ण और इसकी मात्राओं को दर्शाने की व्यवस्था बदली गयी है। जिसके कारण इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ और ऋ अक्षरों का व्यवहार नहीं होता है। ( 4 ) महाप्राण ध्वनियाँ तो सभी हैं, लेकिन उन्हें लिखने का तरीका बदला गया है। अल्पप्राण ध्वनि में एक वृत का चिह्न पाई में जोड़ कर स्वतंत्र महाप्राण ध्वनि बनाए गये हैं। जिससे अनेक अक्षरों की आवश्यकता नहीं रह गयी है उन्हें हटा दिया गया है। ( 5 ) कुछ वर्णों के रूप बदले गये हैं। ( 6 ) संयुक्ताक्षरों में आधे अक्षरों का व्यवहार नहीं होता है !( 7 ) समय की मात्राओं में चौथाई मात्रा का भी प्रावधान है, जिससे वर्तनी और अधिक स्पष्ट होती है। ( 8 ) देवनागरी टाइपिंग में जहाँ 140 ( एक सौ चालीस ) ध्वनि संकेत चिह्नों की आवश्यकता होती है ,वहीं होड़ो सेंणा के 45 ( पैंतालीस) ध्वनि संकेत चिह्नों के जरिए स्पष्ट वर्तनी टाईप की जा सकती है। ( 9 ) देवनागरी लिपि की अपेक्षा होड़ो सेंणा लिपि सीखना और टाईप करना बहुत आसान है। उपर्युक्त बातों को परखने के लिए होड़ो सेंणा लिपि की समीक्षा होनी चाहिए ।